कविता संग्रह >> अपना घर अपना घरमुनि क्षमासागर
|
0 |
मुनिश्री क्षमासागर की कविताओं को बिना पढ़े सोचा जा सकता है कि ये दिगम्बर, वीतराग मुनि की सन्देश बहुल नीति-कथाएँ होंगी….
मुनिश्री क्षमासागर की कविताओं को बिना पढ़े सोचा जा सकता है कि ये दिगम्बर, वीतराग मुनि की सन्देश बहुल नीति-कथाएँ होंगी, जिनमें सांसारिक जीवन की आसक्तियों - विकृतियों को रेखांकित किया गया होगा. पर ऐसा कतई नहीं है. इनमें वे अपनी आकांक्षाओं और सपनों के शेष से साक्षात्कार की मुद्रा में उपस्थित हैं. ये कविताएँ सरल हैं, पर सरलता गहरी है. ये कविताएँ सहज हैं, पर सहजता निर्मम है. ये परोक्ष में सन्देश भी कह जाती हैं, पर अपमान नहीं करती. इनमें कवि की सूक्ष्म अन्तर्दृष्टि समकालीन जीवन-स्थितियों से निराक्रोश मुठभेड़ करती हैं.
|